छत्रपति संभाजी भोंसले

छत्रपति संभाजी भोंसले

~ मराठा वीर योद्धा

जन्म और प्रारंभिक जीवन

जन्म और प्रारंभिक जीवन

– जन्म: 14 मई 1657, पुरंदर किला – पिता: छत्रपति शिवाजी महाराज – बचपन से ही युद्ध और राजनीति की शिक्षा

ज्ञान और भाषा

ज्ञान और भाषा

– संभाजी 7 भाषाओं में निपुण थे – संस्कृत, फारसी, मराठी, हिंदी, उर्दू, तेलुगू, कन्नड़ – एक कुशल लेखक भी थे (ग्रंथ: बुद्धभूषण)

धर्म, स्वाभिमान और मातृभूमि के लिए लड़ाई कभी व्यर्थ नहीं जाती।

~ संभाजी भोंसले

सिंहासन पर आरूढ़

सिंहासन पर आरूढ़

– 1681 में संभाजी छत्रपति बने – कठिन समय: औरंगज़ेब ने दक्षिण पर चढ़ाई कर दी थी – युद्ध, राजनीति और चतुराई का परिचय

मुगलों से टक्कर

मुगलों से टक्कर

– औरंगज़ेब की सेनाओं से लगातार युद्ध – दक्षिण भारत में मुगलों के लिए सबसे बड़ा खतरा बने – बिना हार माने 7 साल तक लड़ते रहे

विश्वासघात और बंदी

विश्वासघात और बंदी

– 1689 में मित्र के धोखे से मुगलों द्वारा      पकड़े गए – औरंगज़ेब ने धर्म परिवर्तन का दबाव डाला – संभाजी ने इनकार कर दिया

वीरगति

वीरगति

– 11 मार्च 1689 को क्रूरता से हत्या – आँखें निकाली गईं, जीभ काटी गई — पर झुके नहीं – अंतिम शब्द: "हर हर महादेव!"

उनकी वीरता की गूंज

उनकी वीरता की गूंज

– शौर्य और धर्म के लिए बलिदान – मराठा साम्राज्य को टूटने नहीं दिया – उनकी मृत्यु के बाद भी संघर्ष जारी      रहा

विरासत

विरासत

– संभाजी का बलिदान मराठा आत्मबल की पहचान बना – आज भी महाराष्ट्र में पूजे जाते हैं – इतिहास में अमर योद्धा