अगर आप एक साधारण इंसान हैं और अपनी साधारण सी LIFE जीने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं तो आपको मशहूर लेखिका और ACTIVIST हेलेन केलर के बारे में पढ़ना चाहिए। हेलेन केलर की कहानी उन हताश लोगों को भी प्रेरित करेगी जिन्हें लगता है कि उनके जीवन में अब कुछ भी नहीं बचा है सिवाय खोने के। हेलेन केलर को एक साधारण जीवन जीने के लिए असाधारण मुश्किलों का सामना करना पड़ा। हेलेन का जन्म यूनाइटेड अमेरिका में अलबामा के टुस्कुम्बिआ में हुआ था।

हेलेन केलर 19 महीने की उम्र में एक meningitidis नाम की बीमारी हो गई, पेट और मस्तिष्क में बुख़ार जैसी बीमारी ने हेलेन केलर को जीवन भर के लिए बहरा और अँधा बना दिया। जीवन में बड़ी चुनौतियों को जीतने के लिए बड़े हौसलों की भी जरुरत भी होती है। हेलेन ने अपने दुखों को हर एक दिन महसूस किया। परिवार में कुछ एक लोग ही थे जो उनके संकेतों को समझ पाते थें सात साल के जीवन संघर्ष में उन्होंने साठ से ज्यादा संकेत सिख लिए। घर में वह लोगों को उनके क़दमों की आहट से पहचान जाती थीं। गुरु ऐनी सुलिवान की मदद से, केलर ने स्पर्श द्वारा संवाद करना सीखा। ब्रेल सीखकर पढाई और बाद में बोलना भी सीखा। उनकी दृढ़ संकल्प और मज़बूती ने उन्हें सिर्फ संवाद करने में मदद नहीं की, बल्कि उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के रेडक्लिफ कॉलेज से ग्रेजुएशन भी किया और प्रसिद्ध लेखिका , सामाजिक कार्यकर्ता और बधिरों और महिलाओं के अधिकारों की अधिवक्ता बनीं। विकलांगता से जूझ रहे लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए भी आवाज उठाई।

वह इंसान जो दुखों की माला बनाकर अपने गले में पहनकर गुमनामी की जिंदगी जी सकता था। जिसके जीवन में अंधकार के सिवा कुछ नहीं था। उसने अपने बुलंद हौसलों और मज़बूत इरादों के बलबूते पर एक ऐसा उदाहरण पेश किया जो समाज को नया आयाम देने में साधारण लोग करते हैं जबकि समाजिक उत्थान में समाज के लोगों में साधारण लोगों की अपेक्षा में असाधारण लोगों से सहयोग की प्रत्याशा कम होती है। लेकिन हेलेन केलर ने अपने आप को समाज में एक राजनैतिक-सामाजिक सर्जक के रूप में स्थापित किया।
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